रिलीज़ का पीछे की कहानी
उतर प्रदेश के प्रमुख मुस्लिम नेता अज़ाम खान ने मंगलवार दोपहर अपनी कार में सतपुर जेली से बाहर कदम रखा। यह उनका दूसरा दौर था; पहले 2019 के चुनावी विवाद के बाद वे जेल में बंद रहे थे। इस बार 23 महीने बाद, 79 आपराधिक मामलों में सभी बायल जारी होने के बाद, उन्हें औपचारिक प्रोटोकॉल पूरा करके जेल के साइड गेट से निकाला गया।
कुर्ता‑पायजामा में सुसज्जित अज़ाम खान ने सफ़ेद कर्टू के साथ काली वेस्ट पहन रखी थी, जिससे उनका स्टाइल तुरंत पहचान में आया। उनके साथ उनके दो बेटे — अब्दुल्ला और अदीब — भी सवार थे, जो तुरंत रैंपुर घर की ओर रुख कर दिया।
सलाहकारों ने बताया कि जेल के सुपरिंटेंडेंट सुरेेश सिंह ने पुष्टि की कि रिहाई तभी संभव हुई जब सभी 72 मामलों में रिलीज़ ऑर्डर और 7 बायल के आदेशों को पूरा किया गया। कुछ पुराने मामलों में फॉर्मलिटीज़ के कारण देरी हुई, पर अंत में सभी काग़ज़ी काम ख़त्म हो गया।

राजनीतिक और पारिवारिक प्रतिक्रिया
सतपुर जेल के बाहर, अज़ाम खान को स्वागत करने के लिए कई पार्टी कार्यकर्ता और नेता खड़े थे। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अनूप गुप्ता, मौरादाबाद की सांसद रूचि वीरा और जिला अध्यक्ष चतुरपति यादव ने भी खुशी जाहिर की। अदीब खालिद अपने पिता के साथ खड़े थे और बड़े‑बड़े समूह ने उनका इंतज़ार किया था, जहाँ गिनती में सैंकड़ों सक्रिय कामगार शामिल थे।
अज़ाम खान के परिवार का मामला भी जटिल रहा। उनके पती‑पत्नी, तंजीन फातिमा, और बेटे अब्दुल्ला अज़ाम खान पर भी कई आरोप लगे हैं। 2019 में शुरू हुई हेट स्पीच केस के बाद, विभिन्न अपराधों में मुकदमों की लकीर बढ़ती गई। सबसे हालिया केस, जो 2020 में सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन (रैंपुर) ने दर्ज किया था, में धोखाधड़ी और सम्बंधित अपराधों का आरोप था, जिसमें अल्लाहाबाद हाई कोर्ट ने 18 सितम्बर को बायल दे दिया।
सुरक्षा निकाय ने भी इस रिहाई में कड़ी व्यवस्था रखी। जेल के बाहर कई बाड़े, बुलेट पिरामिड और एंटी‑टेरर पोलीस उपस्थिति ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी अनावश्यक असामान्य घटना न हो।
बहुप्रतीक्षित रिहाई के बाद, अज़ाम खान ने तुरंत मीडिया से बात नहीं की, पर उनके समर्थकों ने कहा कि वह अब रैंपुर लौटकर पार्टी की रणनीति में फिर से सक्रिय हो जाएंगे। उनके समर्थकों का मानना है कि इस रिहाई से समाजवादी पार्टी को चुनावी मोर्चे पर एक बड़ी ताकत मिल जाएगी, विशेषकर जामिया‑इ‑इस्लामिया और मुस्लिम वोट बैंकरों के बीच।
बायल की प्रक्रिया को समझना जरूरी है। नीचे अज़ाम खान के बायल मिलने की क्रमबद्ध सूची दी गई है:
- रैंपुर सत्र कोर्ट – 19 केस में बायल
- अल्लाहाबाद हाई कोर्ट – 2 प्रमुख केस (क्वालिटी बार लैंड ग्रैब, धोखाधड़ी) पर बायल
- सुप्रीम कोर्ट – एक केस में विशेष बायल
- विभिन्न जिला कोर्ट – शेष 58 केस में बायल
अब अज़ाम खान का अगला कदम क्या होगा, यह देखना बाकी है। उनके परिवार के साथ रैंपुर की यात्रा, पार्टी के भीतर की गतिशीलता और आगामी चुनावी रणनीति इस रिहाई को राजनीति पर गहरा असर डालने वाला बना सकती है। इस बीच, अज़ाम खान की अज़ाम खान रिहाई ने अभिजात्य वर्ग और सामान्य जनता दोनों में उत्सुकता बढ़ा दी है।
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